भगवान श्रीराम के पैरों के निशान मिले इराक की पहाड़ियों पर, साथ में हैं हनुमानजी भी

ख़ास बातें

  • इराक की दरबंद-ई-बेलूला चट्टान पर मिले भागवान श्रीराम और हनुमान के निशान.
  • पहाड़ी पर मिले भित्तिचित्र में एक राजा और उसके सेवक को दिखाया गया.
  • अयोध्या शोध संस्थान का दावा व्यापक शोध-अनुसंधान से हो जाएगा खुलासा.
नई दिल्ली.:
सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन अवशेष बताते हैं कि वहां अपने समय की बेहद उन्नत सभ्यता वास करती थी. सरस्वती नदी की प्रामाणिकता भी किसी और ने नहीं, बल्कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मानी है. यानी कह सकते हैं कि भारतीय सभ्यता का विस्तार प्राचीन मिस्र से लेकर मेसोपोटामिया और सुदूर देशों तक था. ऐसे में कतई आश्चर्य नहीं होता है, जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स भगवान श्रीराम के भित्तिचित्र इराक में पाए जाने का दावा करती हैं. यह दावा अयोध्या शोध संस्थान के एक प्रतिनिधिमंडल ने किया है, जो इसी साल इराक दौरे पर गया था.
2000 ईसा पूर्व का है भित्तिचित्र
इस प्रतिनिधिमंडल का दावा है कि उन्हें इराक की दरबंद-ई-बेलूला चट्टान में लगभग 2000 ईसा पूर्व के भित्तिचित्र देखने को मिले. उनका दावा है कि वास्तव में यह भित्तिचित्र भगवान राम की ही छवि हैं. भौगोलिक लिहाज से इराक का यह इलाका होरेन शेखान क्षेत्र में एक संकरे मार्ग से गुजरता है. भित्तिचित्र में एक नंगी छाती वाले राजा को दिखाया गया है, जो धनुष पर तीर ताने हैं. इस राजा के पास एक तरकश और उसकी कमर के पट्टे में एक खंजर या छोटी तलवार भी लगी है. इस छवि में प्रार्थना के अंदाज में मुड़ी हुई हथेलियों के साथ एक दूसरी छवि भी नजर आती है, जो हनुमानजी की है.

ख़ास बातें

  • इराक की दरबंद-ई-बेलूला चट्टान पर मिले भागवान श्रीराम और हनुमान के निशान.
  • पहाड़ी पर मिले भित्तिचित्र में एक राजा और उसके सेवक को दिखाया गया.
  • अयोध्या शोध संस्थान का दावा व्यापक शोध-अनुसंधान से हो जाएगा खुलासा.
नई दिल्ली.:
सिंधु घाटी सभ्यता के प्राचीन अवशेष बताते हैं कि वहां अपने समय की बेहद उन्नत सभ्यता वास करती थी. सरस्वती नदी की प्रामाणिकता भी किसी और ने नहीं, बल्कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मानी है. यानी कह सकते हैं कि भारतीय सभ्यता का विस्तार प्राचीन मिस्र से लेकर मेसोपोटामिया और सुदूर देशों तक था. ऐसे में कतई आश्चर्य नहीं होता है, जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स भगवान श्रीराम के भित्तिचित्र इराक में पाए जाने का दावा करती हैं. यह दावा अयोध्या शोध संस्थान के एक प्रतिनिधिमंडल ने किया है, जो इसी साल इराक दौरे पर गया था.
2000 ईसा पूर्व का है भित्तिचित्र
इस प्रतिनिधिमंडल का दावा है कि उन्हें इराक की दरबंद-ई-बेलूला चट्टान में लगभग 2000 ईसा पूर्व के भित्तिचित्र देखने को मिले. उनका दावा है कि वास्तव में यह भित्तिचित्र भगवान राम की ही छवि हैं. भौगोलिक लिहाज से इराक का यह इलाका होरेन शेखान क्षेत्र में एक संकरे मार्ग से गुजरता है. भित्तिचित्र में एक नंगी छाती वाले राजा को दिखाया गया है, जो धनुष पर तीर ताने हैं. इस राजा के पास एक तरकश और उसकी कमर के पट्टे में एक खंजर या छोटी तलवार भी लगी है. इस छवि में प्रार्थना के अंदाज में मुड़ी हुई हथेलियों के साथ एक दूसरी छवि भी नजर आती है, जो हनुमानजी की है.

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